दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के दादरी कस्बे के बिसाहड़ा गांव मेंं गोमांस
रखने की अफवाह के चलते हिंसक भीड़ के हाथों मारे गए अखलाक ने मदद के लिए
आखिरी बार अपने बचपन केे हिंदू दोस्त को फोन किया था। लेकिन जब तक हिंदू
दोस्त मदद को पहुंचता तब तक अखलाक की मौत हो चुकी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अखलाक ने आखिरी बार फोन अपने बचपन के दोस्त मनोज सिसोदिया से की थी जो गांव मेंं ही एक परचून की दुकान चलाता है। मनोज को अखलाक के घर पहुंचने मे करीब 15 मिनट का समय लगा लेकिन तब तक अखलाक की मौत हो चुकी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनोज अपने दोस्त की अचानक हुई मौत से सदमे हैं। मनोज का कहना है कि इससे पहले कभी भी हमारे गांव में सांप्रदायिक घटना नहीं घटी।
मनोज का कहना है कि मैं सोने की तैयारी कर रहा था तभी अचानक मेरे मोबाइल पर अखलाक का कॉल आया, उसने मुझसे कहा कि मनोज भाई हम खतरे में हैं। किसी तरह पुलिस को फोन करके फोर्स बुलवा दो। ये उसके आखिरी शब्द थे।
मनोज ने कहा कि मैंने पुलिस को कॉल किया और कहा कि मेरे दोस्त की जिंंदगी खतरे में है। पुलिस को कॉल कर मैं अपने दोस्त के घर की ओर दौड़ा। पुलिस भी करीब 15 मिनट क भीतर गांव पहुंच गई। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
मनोज ने कहा कि काश मैं थोड़ा जल्दी पहुंच जाता और भीड़ को शांत कर पाता। फिर भी हम अखलाक के 21 साल केे बेटे दानिश को बचाने में कामयाब रहे। मनोज का कहना है कि दानिश को अस्पताल तो पहुंचाया लेकिन मैं भी काफी डरा हुआ था, मुझे डर था कि कहीं भीड़ मुझे भी निशाना न बना लें।
Source : http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/state/dadri-case-akhlaq-last-time-call-his-hindu-friend-to-sought-help-1355897.html
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनोज अपने दोस्त की अचानक हुई मौत से सदमे हैं। मनोज का कहना है कि इससे पहले कभी भी हमारे गांव में सांप्रदायिक घटना नहीं घटी।
मनोज का कहना है कि मैं सोने की तैयारी कर रहा था तभी अचानक मेरे मोबाइल पर अखलाक का कॉल आया, उसने मुझसे कहा कि मनोज भाई हम खतरे में हैं। किसी तरह पुलिस को फोन करके फोर्स बुलवा दो। ये उसके आखिरी शब्द थे।
मनोज ने कहा कि मैंने पुलिस को कॉल किया और कहा कि मेरे दोस्त की जिंंदगी खतरे में है। पुलिस को कॉल कर मैं अपने दोस्त के घर की ओर दौड़ा। पुलिस भी करीब 15 मिनट क भीतर गांव पहुंच गई। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
मनोज ने कहा कि काश मैं थोड़ा जल्दी पहुंच जाता और भीड़ को शांत कर पाता। फिर भी हम अखलाक के 21 साल केे बेटे दानिश को बचाने में कामयाब रहे। मनोज का कहना है कि दानिश को अस्पताल तो पहुंचाया लेकिन मैं भी काफी डरा हुआ था, मुझे डर था कि कहीं भीड़ मुझे भी निशाना न बना लें।
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