Tuesday, 3 November 2015

निर्भया कांड में न्याय मिला या नहीं कह नहीं सकते, लेकिन कानून की पालना ज़रूर हुई है: मेनका

 केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि निर्भया गैंग रेप मामले पर पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है या नहीं कहा नहीं जा सकता, लेकिन कानून की पालना ज़रूर हुई है। गांधी ने यह प्रतिक्रिया इस मामले में लिप्त एक बाल अपचारी के बाल सुधार गृह से रिहा होने से पहले दी है।  

मेनका गांधी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि प्रशासन को इस बाल अपचारी के  बाद भी उसकी हर गतिविधियों पर नज़र बनाये रखने की ज़रुरत है। 

उन्होंने कहा कि इस मामले में कानून की पालन तो हुई है, लेकिन वह इस बात को लेकर असमंजस में है कि जघन्यतम अपराध में आने वाला निर्भया गैंगरेप कांड में सुनाया गया फैसला क्या न्याय के हिसाब से सही था। 


उन्होंने कहा कि न्याय को कानून के साथ मिलाकर उलझना नहीं चाहिए क्यों कि कई बार दोनों में अंतर होता है। अपनी बात रखते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाल अपचारी दोषी है लेकिन सजा के तौर पर उसे केवल बाल सुधार गृह ही भेजा जा सकता है। मेनका ने कहा कि हम इसी विसंगति को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

अब वो अपनी सजा पूरी करके बाहर आ रहा है और उसके खिलाफ तब तक कुछ नहीं किया जा सकता जब तक वो कोई दूसरा अपराध नहीं करता।

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को एक 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी इंटर्न छात्रा के साथ गैंग रेप की जघन्य वारदात को अंजाम दिया गया था। आरोपियों ने अपने मंसूबों को इतनी घिनौने तरीके से अंजाम दिया था कि पीड़ित छात्रा की बाद में मौत हो गई थी।  



इस दिल दहला देने वाली घटना की जांच करते हुए पुलिस ने एक किशोर को भी निरुद्ध किया था।  जिसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था।  अब जब इस बाल अपचारी के बाल सुधार गृह में तीन साल की अवधि की मियाद ख़त्म हो रही है उसे रिहा कर उसके परिजनों के सुपुर्द किया जाना है।

खबर ये भी है कि बाल अपचारी को रिहा करने का तय दिन 15 दिसंबर है लेकिन दिल्ली सरकार चाहती है कि उसे एक सप्ताह पहले ही रिहा कर दिया जाए।  सरकार को इस बात का अंदेशा है कि बाल अपचारी के रिहा होने पर कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है ... निर्भया कांड में न्याय मिला या नहीं कह नहीं सकते

Source: Hindi News

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