Tuesday 21 April 2015

इस घटना के बाद महाकाली के मार्ग में लेटे थे भोलेनाथ

मां भगवती शक्ति का साक्षात स्वरूप हैं। वे अपने भक्तों पर दयादृष्टि रखती हैं, वहीं दुष्ट प्रवृत्तियों का विध्वंस भी करती हैं। प्राचीन ग्रंथों में यह कथा आती है कि जब राक्षस रक्तबीज ने तपस्या के बल पर वरदान पाया कि उसके रक्त की एक बूंद भी नीचे गिरने पर उससे अनेक राक्षस उत्पन्न हो जाएंगे तो उसने काफी उत्पात मचाना शुरू कर दिया।

उसके आतंक से तीनों लोक कांप उठे। उसने देवताओं को युद्ध के लिए ललकारा और यज्ञों का ध्वंस करने लगा। देवताओं ने भी रण में उसका मुकाबला किया लेकिन रक्तबीज के खून की हर बूंद से नए-नए राक्षस पैदा होने लगा। इसलिए देवताओं को मालूम हो गया कि इसको पराजित करना अब बहुत कठिन है।
वे सभी मां भगवती के पास गए और उन्हें अपनी समस्या बताई। मां ने सत्य की रक्षा के लिए महाकाली का रूप धारण किया। इस स्वरूप में उनकी छवि अत्यंत भयानक है।

उनके गले में खोपड़ियों की माला और हाथों में विभिन्न शस्त्र हैं। उन्होंने राक्षसों का अंत करना शुरू किया। रक्तबीज पर किए गए प्रहार से उसका खून नीचे गिरा और उससे अनेक राक्षस उत्पन्न होने लगे।

तब मां महाकाली ने अपनी जिह्वा का आकार बढ़ाया। रक्तबीज का रक्त अब उनकी जिह्वा पर ही गिरने लगा। राक्षसों की उत्पत्ति बंद होने से रक्तबीज की शक्ति समाप्त होने लगी।

रक्तबीज कमजोर पड़ता गया और मां महाकाली ने उसका वध कर दिया। अब तक उनका क्रोध भी उच्च सीमा तक पहुंच चुका था। मां का वह रूप अत्यंत विकराल था ... Lord Shiva lying in path of Kali

Source: Spirituality News from Rajasthan News Desk

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