Thursday, 22 January 2015

बॉलीवुड में जिसका पैसा लगता है, उसे लगता है वह ज्यादा जानता है: प्रसून

हम लोग संस्कृत, साहित्य और माइथोलॉजी के बारे में बहुत बात करते हैं, तो इसमें अच्छा है कि हम संस्कृत साहित्य को भी पढ़ें। मैं पुराने लेख, साहित्य के बारे में जानने के लिए संस्कृत की पुस्तकें पढ़ता हूं और इन दिनों मैं अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त संस्कृत किताबों को पढ़ने में बिताता हूं। इसके साथ ही यूथ क ो भी सलाह देना चाहता हूं कि वे माइथोलॉजी बुक्स पढ़ें और पुराने साहित्य, लेखों और रचनाओं के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें।

प्रसून ने लेखक की तरह पाठक की भी आजादी का पक्ष लिया। उन्होंने कहा, जिस तरह लेखक की आजादी लिखने की हो, उसी तरह पाठक की भी आजादी हो। वह यह कह सके कि "यदि आप लचर लेखक हैं, तो मैं इसे नहीं पढ़ना चाहता।" लेकिन हमने इस आजादी को दरकिनार कर रखा है, कोई भी लेखक अपनी बुराई सुनना पसंद नहीं करता।
म शहूर गीतकार प्रसून जोशी ने बॉलीवुड में इस्तेमाल होने वाले देशज शब्दों की आपत्ति पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि "बॉलीवुड में जिसका पैसा लगता है, उसे लगता है वह लेखक से ज्यादा जानता है।" जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के सेशन "तारे जमीं पर" में कवि यतीन्द्र मिश्र के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि जब मैंने "मस्ती की पाठशाला" और "बुर्शट पहनके" गाना लिखा तो इन शब्दों पर असहमति थी कि "लोग क्या समझेंगे?"

मैंने कहा, मैं भी तो उसी समाज में रहता हूं जहां ये शब्द बोले-सुने जाते हैं, तो इस्तेमाल क्यों नहीं किए जा सकते? मुझे "बुर्शट" लिखने में तसल्ली मिल गई और देखिए उसका जिक्र होकर वह सफल भी हो गया। इसी तरह, "मसकली" का मतलब कुछ नहीं होता, लेकिन बुद्धिजीवियों ने मुझसे पूछा था "ये किस संदर्भ में लिखा।" इसलिए मुझे उसे सही साबित करने के लिए "कबूतर का नाम मसकली रखना पड़ा।" दरअसल वे इन शब्दों को समझना ही नहीं चाहते।

बॉलीवुड में भाष्ााओं का भी प्रभुत्व है। बॉलीवुड में कमजोर भाष्ााएं दबा दी जाती हैं। जैसे लड़की "कुड़ी पंजाबी" ही क्यों होती है? किसी ने यह समझने की कोशिश क्यों नहीं कि लड़की को उडिया में क्या कहा जाता है? मैं जेएलएफ जैसे मंचों से इस पर चर्चा करना चाहता हूं कि इस ऑडियो विजुअल युग में जो आवाजें बंद हैं, उनको बचाया जाए। इस पर चर्चा हो। उन भाष्ााओं और लोक शब्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए। उन भाष्ााओं को अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई क्यों लड़नी पड़े?

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