ठिठुरन भरी सुबह में बुधवार को जंक्शन रेलवे स्टेशन पर नौ वर्षीय बालिका कौतूहल का विषय बन गई। यशपाल भारद्वाज रेलवे कर्मचारी हैं। उनकी पौत्री मिष्ठी को कुदरत ने वह तोहफा दिया है, जिसके प्रभाव से वह हर वस्तु को स्पर्श करके समझ सकती है। वह जब जंक्शन रेलवे स्टेशन पहंुची तो मौजूद लोग मिष्ठी के हाथ में राजस्थान पत्रिका के बुधवार का अंक थमाकर उसमें प्रकाशित समाचारों और विज्ञापनों के बारे में पूछने लगे।
आंखों में काली पट्टी बांधे मिष्ठी ने कई समाचारों व चित्रों को अंगुलियों से स्पर्श कर पढ़ डाले। इतना ही नहीं वह दूसरों के मोबाइल में आने वाले मैसेज को भी आंख में पट्टी बांधकर आसानी से पढ़ लेती है। रेलवे यूनियन कार्यालय में मिष्ठी की प्रतिभा जिस किसी ने देखी उसे दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। पुरस्कार स्वरूप उपसभापति नगीना बाई ने उसे पांच सौ रूपए का नोट थमाया तो आंख में पट्टी बांधे उसने उस नोट के नंबर बता दिए।
आसपास में खड़े अधिकारियों व रेलवे यात्रियों के जैकेट व स्वेटर का रंग बताने के साथ लोगों ने जन्मतिथि बताई और रेलवे कर्मचारियों ने अपने पहचान पत्र दिखाए तो उस पर छपी तस्वीर और नाम को आसानी से बता दिया। मिष्ठी कहती है कि कोई व्यक्ति या विद्यार्थी यदि दिमाग को स्थिर रखकर कुछ समय इसका प्रशिक्षण प्राप्त कर ले तो वह सबकुछ कर सकता है। सिरसा के सतलुज पब्लिक स्कूल में चौथी कक्षा में अध्ययनरत मिष्ठी के दादा यशपाल भारद्वाज ने बताया कि उसने पंचकुला निवासी विनोद फुटेला से यह ट्रेनिंग प्राप्त की है।
भारद्वाज कहते हैं कि आजकल अभिभावक खुद की सहूलियत के लिए बच्चों को प्लेयिंग कार्ड में व्यस्त रखते हैं। इससे बच्चों का दिमाग सही तरीके से विकसित नहीं हो पाता और उनमें नकारात्मक भाव प्रवाहित होने लगते हैं। उनका कहना है कि मिष्ठी के दिमाग में करीब 100 साल का केलेंडर फीड है। इसके साथ ही भारत के अब तक के सभी प्रधानमंत्री का नाम उसे याद है।
Source: Hanumangarh News from Rajasthan Hindi News
आंखों में काली पट्टी बांधे मिष्ठी ने कई समाचारों व चित्रों को अंगुलियों से स्पर्श कर पढ़ डाले। इतना ही नहीं वह दूसरों के मोबाइल में आने वाले मैसेज को भी आंख में पट्टी बांधकर आसानी से पढ़ लेती है। रेलवे यूनियन कार्यालय में मिष्ठी की प्रतिभा जिस किसी ने देखी उसे दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। पुरस्कार स्वरूप उपसभापति नगीना बाई ने उसे पांच सौ रूपए का नोट थमाया तो आंख में पट्टी बांधे उसने उस नोट के नंबर बता दिए।
आसपास में खड़े अधिकारियों व रेलवे यात्रियों के जैकेट व स्वेटर का रंग बताने के साथ लोगों ने जन्मतिथि बताई और रेलवे कर्मचारियों ने अपने पहचान पत्र दिखाए तो उस पर छपी तस्वीर और नाम को आसानी से बता दिया। मिष्ठी कहती है कि कोई व्यक्ति या विद्यार्थी यदि दिमाग को स्थिर रखकर कुछ समय इसका प्रशिक्षण प्राप्त कर ले तो वह सबकुछ कर सकता है। सिरसा के सतलुज पब्लिक स्कूल में चौथी कक्षा में अध्ययनरत मिष्ठी के दादा यशपाल भारद्वाज ने बताया कि उसने पंचकुला निवासी विनोद फुटेला से यह ट्रेनिंग प्राप्त की है।
भारद्वाज कहते हैं कि आजकल अभिभावक खुद की सहूलियत के लिए बच्चों को प्लेयिंग कार्ड में व्यस्त रखते हैं। इससे बच्चों का दिमाग सही तरीके से विकसित नहीं हो पाता और उनमें नकारात्मक भाव प्रवाहित होने लगते हैं। उनका कहना है कि मिष्ठी के दिमाग में करीब 100 साल का केलेंडर फीड है। इसके साथ ही भारत के अब तक के सभी प्रधानमंत्री का नाम उसे याद है।
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