Showing posts with label Business-News. Show all posts
Showing posts with label Business-News. Show all posts

Tuesday, 8 December 2015

पशु नहीं, अब मनोरंजन बना सोनपुर मेले का मुख्य आकर्षण


बिहार में सारण जिले के सोनपुर में प्रतिवर्ष लगने वाले विश्व प्रसिद्ध मेले में आने वाले पशुओं की संख्या में निरन्तर कमी होने से इसका मुख्य आकर्षण भले ही घटता जा रहा हो लेकिन खाने-पीने और मनोरंजन के आधुनिक साधनों के उपलब्ध होने के कारण अभी भी खासी तादाद में लोग यहां जुट रहे हैं।

सोनपुर मेले में पहले हजारों की तादाद में देश के कोने-कोने से पशु खरीद-बिक्री के लिए आते थे लेकिन पिछले कुछ सालों से मेले में आने वाले पशुओं की संख्या लगातार घटती जा रही है। ऐसा दूसरे राज्यों से पशुओं के लाने पर रोक, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम और पशु क्रूरता अधिनियम के प्रभावी तरीके से अमल की वजह से हो रहा है।

अब पशुओं को बिक्री के लिए लाने में तरह-तरह की दुश्वारियां पेश आती हैं। हाथी और राष्ट्रीय पक्षी मोर के साथ ही कई पक्षियों की खरीद-बिक्री पर रोक भी सोनपुर के पशु मेले का स्वरुप बदलने की वजह मानी जा रही है। जो पशु यहां लाए भी जाते हैं वे दो ही चार दिनों में बिक जाते हैं या उनके मालिक उन्हें लौटा ले जाते हैं।


सोनपुर के हरिहर क्षेत्र में 23 नवम्बर को शुरु हुए इस मेले में लाए गए कुछ हाथी बिके और बाकी तीन दिनों में ही वापस ले जाए गए। हाथियों की बिक्री के लिए व्यापारियों ने एक तरीका निकाल लिया है, वे हाथी को दान में देने का एक प्रपत्र तैयार करवाकर उसकी खरीदार और विक्रेता के बीच अदला-बदली कर लेते हैं। इससे वे कानूनी पचड़े में फंसने से बच जाते हैं।

मेले में लाए गए घोड़े भी या तो बिक गए या वापस चले गए। एक महीने तक चलने वाले मेले के पन्द्रहवें-सोलहवें दिन यहां 15-20 घोड़े ही बचे हैं। वहीं मेले में लगभग 20 गायें ही अब बची हैं जो खरीदार की बाट जोह रही हैं। बकरियां भी 40-45 ही रह गई हैं। बैल बाजार भी उजड़ा नजर आता है। 

















ट्रैक्टर के दौर में अब बैलों की वैसे भी मांग नहीं रही है। गधे, खच्चर, ऊंट और अन्य पशु तो यहां अब नजर ही नहीं आते। चिड़यिा बाजार हालांकि कुछ गुलजार नजर आता है क्योंकि उसी से जुड़ा कुत्ता बाजार है जहां विभिन्न नस्लों के कुछ कुत्ते बिक्री के लिए बचे हुए हैं। इस बाजार में लोगों की भीड़ रहती है। 


Monday, 16 November 2015

बाबा रामदेव ने किया पतंजलि आटा नूडल्स लांच, दिसंबर में बेबी प्रोडक्ट लांच की तैयारी

योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि प्रोडक्ट्स की रेंज में एक और प्रोडक्ट जुड़ गया है। आटा नूडल्स का यह नया प्रोडक्ट अब बाज़ार में उपलब्ध हो गया है। काफी समय से इंतज़ार हो रहे पतंजलि के आटा नूडल्स को सोमवार को बाबा रामदेव ने आधिकारिक लांच कर दिया। 

रामदेव ने कहा कि पतंजलि नूडलस की कीमत 15 रूपए रखी गई है। उन्होंने इस नूडल में किसी तरह की लीड होने की बात से भी इंकार किया।  पतंजलि ने अपने नूडल्स की टैग लाईन ''झट पट पकाओ, और बेफिक्र खाओ'' रखा है। बाबा रामदेव ने आटा नूडल्स के साथ हेल्थ ड्रिंक भी लॉन्च की है। 

लॉन्च के मौके पर बाबा रामदेव ने कहा कि यह स्वदेशी आंदोलन का अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पतंजलि के प्रोडक्ट आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम हैं। नूडल्स और हेल्थ ड्रिंक्स लांच करने के बाद अब पतंजलि जल्द ही हेल्थ बाज़ार में बेबी केयर प्रोडक्ट्स भी दिसंबर में लांच कर सकता है। 


नूडल्स श्रेणी में लम्बे समय तक सरताज रहे मैगी की भी देश के कुछ हिस्सों से बैन हटने से वापसी हो यही है। ऐसे में इस श्रेणी में प्रतिस्पर्धा एक बार फिर चरम पर रहने की संभावना जताई जा रही है।   

गौरतलब है कि बाबा रामदेव के स्वामित्व वाली अतांजलि ग्रुप के बाज़ार में आयुर्वेदिक उत्पादों की विशाल रेंज पहले से ही उपलब्ध है।  इन सभी प्रोडक्ट्स की मांग भी अच्छी खासी है।  इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पतंजलि ग्रुप का साल 2014 में टर्नओवर 1200 करोड़ रूपए था।  साल 2015 में 2000 काोद् रूपए के टर्नओवर का संभावित लक्ष्य रखा गया है।


'मैगी से टक्कर नहीं' 
बाबा रामदेव ने पतंजलि नूडल्स के मैगी से मुकाबले की खबरों का खंडन किया।  उन्होंने कहा कि मैगी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि दिसंबर के आखिर तक करीब 10 लाख दुकानों और शोरूम में पतंजलि प्रोडक्ट पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है ... बाबा रामदेव ने किया पतंजलि आटा नूडल्स लांच

Source: Business News