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Wednesday, 21 January 2015

प्रसून जोशी आज करेंगे "लक्ष्य" का पाठन

एड गुरू और गीतकार प्रसून जोशी बुधवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी कविता "लक्ष्य" का पाठन करेंगे।



वे "चारबाग" में दोपहर सवा दो बजे से सवा तीन बजे के सत्र "तारे जमीन पर" में कविता पाठ करेंगे। उनकी यह रचना राजस्थान पत्रिका के साहित्य प्रेमी पाठकों के लिए विशेष तौर पर प्रकाशित की जा रही है।

Source: Jaipur Literature Festival 2015

प्रसून जोशी-"लक्ष्य"

लक्ष्य ढूँढते हैं वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
इस पल की गरिमा पर जिनका
थोड़ा भी अधिकार नहीं है
इस क्षण की गोलाई देखो
आसमान पर लुढ़क रही है
नारंगी तरूणाई देखो
दूर क्षितिज पर बिखर रही है
पक्ष ढूँढते हैं वे जिनको
जीवन ये स्वीकार नहीं है
लक्ष्य ढूँढते हैं वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
नाप नाप के पीने वालों
जीवन का अपमान न करना
पल पल लेखा जोखा वालों
गणित पे यूँ अभिमान न करना
नपे तुले वे ही हैं जिनकी
बाहों में संसार नहीं है
लक्ष्य ढूँढते हैं वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
जिन्दा डूबे डूबे रहते
मृत शरीर तैरा करते हैं
उथले उथले छप छप करते
गोताखोर सुखी रहते हैं
स्वप्न वही जो नींद उड़ा दे
वरना उसमें धार नहीं है
लक्ष्य ढूँढते हैं वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
कहाँ पहुँचने की जल्दी है
नृत्य भरो इस खालीपन में
किसे दिखाना तुम ही हो बस
गीत रचो इस घायल मन में
पी लो बरस रहा है अमृत
ये सावन लाचार नहीं है
लक्ष्य ढूँढते हैं वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
कहीं तुम्हारी चिन्ताओं की
गठरी पूँजी ना बन जाए
कहीं तुम्हारे माथे का बल
शकल का हिस्सा ना बन जाए
जिस मन में उत्सव होता है
वहाँ कभी भी हार नहीं है
लक्ष्य ढूँढते हैं वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है।